वो 8 चिरंजीवी, जो पृथ्वी के अंत तक रहेंगे जीवित

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जानिए कौन हैं

द्वापरयुग में जब कौरव व पांडवों में युद्ध हुआ था, तब अश्वत्थामा ने कौरवों का साथ दिया था। अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम व भगवान शंकर के सम्मिलित अंशावतार थे।

1. अश्वथामा 

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कलियुग में हनुमानजी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं और हनुमानजी भी इन अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं।

2. हनुमान जी

विभीषण रावण के छोटे भाई हैं । विभीषण श्रीराम के भक्त हैं। विभीषण श्रीराम की सेवा में चले गए और रावण के अधर्म को मिटाने में धर्म का साथ दिया।

3. विभीषण

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इन्होंने चारों वेद (ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद) का संपादन किया था। सभी 18 पुराणों की रचना की थी। महाभारत और श्रीमद्भागवत् गीता की रचना वेद व्यास द्वारा की गई है।

4. ऋषि व्यास

परशुराम भगवान विष्णु के छठें अवतार हैं । परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका थीं। परशुराम ने 21 बार पृथ्वी से समस्त क्षत्रिय राजाओं का अंत किया था।

5. परशुराम

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महाभारत में कौरवों और पांडवों के गुरु थे। यह गौतम ऋषि के पुत्र हैं। इनकी बहन कृपी का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ था। इस तरह कृपाचार्य, अश्वथामा के मामा हैं।

6. कृपाचार्य

इन्होंने शिवजी को तप कर प्रसन्न किया और महामृत्युंजय मंत्र सिद्धि की। जब यमराज इनके प्राण लेने आए तो भगवान शिव ने यम को रोक दिया, यह चिरंजीवी बन गए।

7. ऋषि मार्कण्डेय

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शास्त्रों के अनुसार राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं। बलि ने भगवान विष्णु के वामन अवतार को अपना सब कुछ दान कर दिया था। इसी कारण इन्हें महादानी के रूप में जाना जाता है।

8. राजा बलि