सावन (श्रवण मास) मास में शिव जी का पूजन करने का महत्वपूर्ण कारण है कि इस मास में मान्यता है कि भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं और उनकी पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। यह मास हिन्दू धर्म में शिव भक्तों के लिए विशेष मान्यता रखता है।
सावन का महीना हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा में। इसे भगवान शिव के पवित्र महीने के रूप में जाना जाता है और इस समय भक्त विभिन्न धार्मिक गतिविधियों और आराधना कार्यक्रमों में लगते हैं। सावन मास जुलाई और अगस्त के बीच आमतौर पर पड़ता है।
2023 में सावन (श्रावण) सोमवार का आगमन 4 जुलाई 2023 से होगा और इस साल सावन में अधिकमास है। इसलिए दो महीने तक सावन मनाया जाएगा। अंतिम सोमवार 30 अगस्त 2023 को है। सावन मास में कुल मिलाकर 8 सोमवार पड़ेंगे।
सावन शुरू, भक्तों पर बरसेगी शिव-गौरी की असीम कृपा, अगर करेंगे ये 5 उपाए | यहाँ Click करे
यहां कुछ मुख्य कारण बताए गए हैं जिनके कारण सावन मास में भगवान शिव की पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है:
- भगवान शिव को प्रसन्न करना: श्रद्धालु विश्वास करते हैं कि सावन मास में भगवान शिव की पूजा करने से उनकी पूजा और आराधना उनसे करीब आती है। इस मास में भगवान शिव बहुत संवेदनशील और दयालु माने जाते हैं, और सच्ची प्रार्थनाओं से इच्छाओं की पूर्ति और आशीर्वाद हो सकते हैं।
- आध्यात्मिक शुद्धिकरण: सावन को शुद्धिकरण और आध्यात्मिक विकास का माह माना जाता है। भक्त व्रत रखने, विशेष पूजा करने, मंत्र पाठ करने और संयम को बनाए रखने, इत्यादि आराधना कार्यों में लगते हैं। ये अभ्यास संदेह, मन और आत्मा को शुद्ध करते हैं और आध्यात्मिक प्रगति को बढ़ाते हैं।
ये सभी कारण सावन मास में भगवान शिव की पूजा और आराधना का महत्व बताते हैं। इस मास में भगवान शिव की आराधना करने से भक्ति, शुद्धि, ध्यान, और स्वास्थ्य के लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
सावन महीने में शिव जी का पूजन करने के लिए निम्नलिखित विधि और सामग्री का उपयोग किया जा सकता है:
पूजा सामग्री:
- शिवलिंग: एक शिवलिंग या प्रतिमा जो शिव जी को प्रतिष्ठित करने के लिए प्रयुक्त होती है।
- गंध: चंदन का पाउडर या चंदन का तेल।
- अक्षत: चावल के अक्षत।
- भस्म: भस्म का उपयोग शिव जी की पूजा में किया जाता है।
- गुलाल: गुलाल का उपयोग शिव जी की पूजा में किया जाता है।
- दूध: शिव जी को स्नान कराने के लिए दूध।
- जल: शिव जी के चारों तरफ छिड़कने के लिए पवित्र जल।
- धूप और दीप: शिव जी को आराधना करने के लिए धूप और दीप।
- बेल पत्र: बेल पत्रों का उपयोग शिव जी की पूजा में किया जाता है।
- धतूरा: धतूरा का उपयोग शिव जी की पूजा में किया जाता है।
- फूल: शिव जी को अर्पित करने के लिए पुष्प।
- रुद्राक्ष माला: रुद्राक्ष की माला जो जप के दौरान प्रयुक्त की जाती है।
- मिठाई: शिव जी को प्रसाद के रूप में मिठाई।
- फल: शिव जी को प्रसाद के रूप में ।
शिव जी की पूजा कब और कैसे की जाती है
सावन मास में शिव जी की पूजा प्रतिदिन की जा सकती है, लेकिन शिवरात्रि (मासिक शिवरात्रि या महाशिवरात्रि) एक महत्वपूर्ण पर्व होता है जब भक्त शिव जी की पूजा करते हैं। पूजा की विधि और समय स्थान संबंधित प्रथाओं और आचार्यों की सलाह के आधार पर भिन्न हो सकती हैं। इसलिए, स्थानीय पुरोहित या धार्मिक आचार्य से सलाह लें और अपनी पूजा की विधि उनसे जानें।
शिव पूजा की सम्पूर्ण विधि निम्नानुसार है:
- सबसे पहले, सावन के पहले सोमवार से पूजा की तिथि और समय का निर्धारण करें। यह तिथि और समय वैदिक पंचांग या पंडित की सलाह के आधार पर चुनें।
- पूजा के लिए एक पवित्र स्थान चुनें, जैसे मंदिर या पूजा घर। स्थान को शुद्ध करें और एक चौकी या आसन तैयार करें जहां पूजा सामग्री रखी जा सके।
- पूजा सामग्री को एकत्र करें। इसमें शिवलिंग, गंध, अक्षत, दूध, जल, धूप, दीप, बेल पत्र, फूल, रुद्राक्ष माला और मिठाई शामिल होनी चाहिए।
- पूजा की शुरुआत करने से पहले स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
- पूजा की शुरुआत में शिवलिंग को पानी से स्नान कराएं। इसके लिए दूध, जल और गंध का उपयोग करें।
- अब शिवलिंग को गंध लगाएं। चंदन का पाउडर या चंदन का तेल शिवलिंग पर लगाएं।
- शिवलिंग को अक्षत से सजाएं। चावल के अक्षत को शिवलिंग के चारों तरफ छिड़क
साथ में ॐ नमः शिवाय का जप भी करते जाये|
यदि आपके पास सावन मास में शिव जी का पूजन संबंधित अधिक प्रश्न हैं, तो आप स्थानीय पुरोहित या धार्मिक आचार्य से सलाह लेने की सलाह दी जाती है।
सावन मास में शिव जी का पूजन क्यों महत्वपूर्ण है?
सावन मास में शिव जी का पूजन करने का महत्वपूर्ण कारण है कि इस मास में मान्यता है कि भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं और उनकी पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। यह मास हिन्दू धर्म में शिव भक्तों के लिए विशेष मान्यता रखता है।
सावन मास में शिवलिंग पर क्या सामग्री चढ़ानी चाहिए?
सावन मास में शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए धूप, दीप, अदरक, बेलपत्र, धात्री, नागकेसर, जावित्री, केसर, फूल, जल, दूध, तांबे का लोटा आदि का उपयोग किया जा सकता है। यह सामग्री भक्ति और पूजा की आदर्श प्रक्रिया का हिस्सा होती है।
सावन मास में शिव जी की पूजा कब और कैसे की जाती है?
सावन मास में शिव जी की पूजा प्रतिदिन की जा सकती है, लेकिन शिवरात्रि (मासिक शिवरात्रि या महाशिवरात्रि) एक महत्वपूर्ण पर्व होता है जब भक्त शिव जी की पूजा करते हैं। पूजा की विधि और समय स्थान संबंधित प्रथाओं और आचार्यों की सलाह के आधार पर भिन्न हो सकती हैं। इसलिए, स्थानीय पुरोहित या धार्मिक आचार्य से सलाह लें और अपनी पूजा की विधि उनसे जानें।
सावन मास में कौन-कौन से व्रत रखे जाते हैं शिव जी के लिए?
सावन मास में शिव जी के लिए कई व्रत रखे जाते हैं जैसे कि सोमवार व्रत, सावन सोमवार व्रत, सोम प्रदोष व्रत, अंधाकार निर्मुलन व्रत, श्रावण सोमवार व्रत आदि। ये व्रत भक्तों के द्वारा शिव जी की पूजा और आराधना के लिए नियमित रूप से अपनाए जाते हैं।